पं० पंकज धवरैय्या भैया की यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री को दो टूक, ब्राह्मणों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा

 “जब ब्राह्मण युवकों को जेल भेजा गया तो सपा कार्यालय में पाखंडी बाबा का सत्कार हुआ, अखिलेश यादव ने उसे इनाम दिया लेकिन जब कथावाचक पर फर्जीवाड़े के लिए FIR हुई तो सपा समर्थक क्यों बौखला गए..? अगर मेरे ब्राह्मण परिवार को न्याय नहीं मिला तो इटावा आऊंगा"

Pankaj

~ पंडित पंकज धवरैय्या, अध्यक्ष राष्ट्रीय सवर्ण परिषद (RSP)

इटावा कथा कांड: OBC और दलित समुदायों ने खुलकर मुकुटमणि को बताया अपराधी, मीडिया पर भी लगाया आरोप

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दादरपुर गाँव में हुई एक भागवत कथा को लेकर गहरे विवाद उत्पन्न हो गए हैं। कथावाचक मुकुटमणि अग्निहोत्री, जिन्हें खुद को ब्राह्मण बताने का दावा था, पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप है कि उन्होंने कथा के दौरान महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की और उन्हें मजबूरी में पैर धोने के लिए कहा।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो के आधार पर, कथावाचक के खिलाफ नफरत फैलाने की शुरुआत हुई, खासकर तब जब यह खुलासा हुआ कि वह कथित तौर पर यादव समुदाय से हैं। इसके बाद, मामले ने तूल पकड़ा और कथावाचक की आलोचना और विरोध ने तेज़ी से जोर पकड़ा।

सच्चाई की तलाश में जुटी टीम

इस विवाद के बारे में सच्चाई जानने के लिए राष्ट्रीय सवर्ण परिषद की एक टीम दादरपुर गाँव पहुँची। उन्होंने वहाँ विभिन्न जातियों के लोगों से बात की। गाँव की जनसंख्या में आधे लोग ब्राह्मण समुदाय से हैं, जबकि बाकी ओबीसी, दलित और अन्य जातियों से आते हैं। टीम ने कई ग्रामीणों से चर्चा की, लेकिन अधिकतर ने कैमरे के सामने बयान देने से इनकार किया।

हालाँकि, कुछ लोगों ने सामने आकर सच्चाई बयान की, जिनमें सोरेन सिंह भी शामिल थे, जो झाड़-फूंक करने वाले समुदाय से आते हैं।

सोरेन सिंह ने बताया पूरा घटनाक्रम

सोरेन सिंह ने घटना के बारे में बताते हुए कहा कि मुकुटमणि को गाँव के एक बाबा के जरिए कथा के लिए बुलाया गया था। कथा का आयोजन मंदिर की ओर से किया जा रहा था, और महिला रेनू तिवारी को परीक्षित के रूप में चुना गया था। परीक्षित वह व्यक्ति होता है जो सात दिन तक भागवत कथा सुनता है और सभी रीति-रिवाजों का पालन करता है।

सोरेन ने आगे बताया कि कथा के दौरान मुकुटमणि का व्यवहार महिलाओं के साथ ठीक नहीं था। उन्होंने रेनू तिवारी से छेड़छाड़ की और भोजन के समय भी उन्हें परेशान किया। मुकुटमणि ने महिला से कहा कि वह उसे अपने हाथों से खाना खिलाए और पैर धोकर पानी पीने को कहा। जब महिला ने इसका विरोध किया और अपने पति से शिकायत की, तो मुकुटमणि ने माफी माँगी और उसे पाँव छूकर क्षमा की।

फर्जीवाड़े का खुलासा

सोरेन सिंह ने यह भी बताया कि कथावाचक के बैग से दो आधार कार्ड मिले थे, जिनमें एक पर उनका नाम मुकुटमणि अग्निहोत्री था, जबकि दूसरे पर मुकुटमणि सिंह लिखा था। इससे गाँववालों को शक हुआ कि कथावाचक ने फर्जी पहचान बनाई है।

पिछड़ी जाति की महिला ने मामले की सफाई दी

बबली देवी, जो एक पिछड़ी जाति से आती हैं, ने भी इस मामले पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि यह मामला जातिवाद से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह छेड़छाड़ और धोखाधड़ी का है। बबली ने बताया कि कथावाचक ने महिलाओं को गलत तरीके से छुआ और उनसे पैर धोने के लिए कहा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई जातिवादी मामला नहीं है, क्योंकि गाँव के ब्राह्मण समुदाय ने कभी उनके साथ भेदभाव नहीं किया। बबली ने साफ़ कहा कि इस पूरे विवाद की जिम्मेदारी सिर्फ मुकुटमणि पर है।

दलित युवक ने मीडिया पर उठाए सवाल

गाँव के एक दलित समुदाय के युवक प्रिंस रावत ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी। प्रिंस ने कहा कि इस पूरे विवाद के कारण गाँव की बदनामी हुई है और मीडिया ने बिना सच्चाई जाने इसे और बढ़ा दिया।

उन्होंने मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया ने इस घटना को जातिवाद से जोड़कर नफरत फैलाने का काम किया। 

 प्रिंस ने यह भी सवाल उठाया कि कैसे अखिलेश यादव ने बिना सच्चाई जाने मुकुटमणि को सम्मानित किया


कथावाचक की सच्चाई और मीडिया की भूमिका पर उठे सवाल

इस घटना ने न केवल इटावा जिले के दादरपुर गाँव को प्रभावित किया, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में घमासान मचाया है। जहां एक ओर कथावाचक को अपराधी ठहराया जा रहा है, वहीं मीडिया पर आरोप लग रहे हैं कि उसने इस मामले को जातिवाद से जोड़कर उसकी गलत छवि पेश की है।

हालांकि, यह स्पष्ट है कि गाँव के विभिन्न वर्गों के लोग इस घटना पर अलग-अलग राय रख रहे हैं। कुछ लोग इसे पूरी तरह से मुकुटमणि की गलती मान रहे हैं, जबकि अन्य मीडिया की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

निष्कर्ष:
इस विवाद ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि जातिवाद और मीडिया की भूमिका को लेकर समाज में क्या वास्तविकता है। अब देखना यह है कि इस घटना के बाद प्रशासन और समाज दोनों की ओर से क्या कदम उठाए जाते हैं।

जानिए इटावा की घटना का पूरा सच इस वीडियो में..



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